प्रथम अध्याय, नीति:1.2
अच्छा मनुष्य कौन?
आचार्य चाणक्य, चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के दूसरे नीति में अच्छा मनुष्य के बारे में बताये हैं कि हम अच्छा मनुष्य किसे समझें?
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो मनुष्य चाणक्य नीति का पठन—पाठन कर इसके नीतियों को अपने जीवन में उतारता है। वही श्रेष्ठ मनुष्य है, क्योंकि इस नीतिशास्त्र में मनुष्य को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, अच्छा कार्य क्या है, बुरा कार्य क्या है, सबका वर्णन है। राज—धर्म और प्रजा—धर्म दोनों की व्याख्या इस नीतिशास्त्र में है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ कर्म, धर्म के अनुकूल होते हैं और कुछ कर्म धर्म के विरूद्ध होते हैं। श्रेष्ठ मनुष्यों को चाहिए कि इन कर्मों के बारे में जाने एवं केवल धर्म के अनुकूल कर्म ही करें।