प्रथम अध्याय नीति:1.5
मृत्यु के इन चार कारणों से बचना चाहिए।
चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के पाँचवे नीति में आचार्य चाणक्य मृत्यु के चार कारणों के जिक्र किये हैं। चरित्रहीन पत्नी, दुष्ट मित्र, मुँहलगा नौकर और घर में रहनेवाला साँप ये चार कारण हैं मृत्यु के। मनुष्यों को सदैव इससे बचना चाहिए। क्योंकि किसी भी व्यक्ति की पत्नी अगर चरित्रहीन हो तो वह व्यक्ति एक न एक दिन लोक लज्जा के कारण आत्महत्या करने पर विवश हो सकता है। अगर वह आत्महत्या नहीं भी करता है तो गृह कलह तो हमेशा होता रहेगा। नीच, धूर्त व्यक्ति अगर किसी के पास मित्र के रूप में आकर बैठता है तो वह सब प्रकार से नुकसानदायक ही होगा। वह नीच मित्र सारा भेद जानकर आवश्यकता पड़ने पर अपना स्वार्थ सिद्ध करेगा। नौकर भी घर के सारे गुप्तभेद जानता है। यदि वह आज्ञा का पालन करने वाला नहीं हो तो वह मुसीबत का कारण बन सकता है। हर समय उससे सावधान रहना पड़ता है। घर में रहनेवाला साँप से तो हमेशा खतरा बना ही रहता है और यह बात सब जानते भी हैं। लेकिन बाकी तीनों भी साँप के तरह ही मृत्यु का कारण बन सकता है। अत: समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वे इन चार कारणों से बच कर रहें।