प्रथम अध्याय नीति:1.4
शिक्षा सुपात्र को ही देना चाहिए
चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के चौथे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा विद्वान क्यों न हो किन्तु मूर्ख शिष्य को पढ़ाने पर, दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर या दुखियों—रोगियों के बीच रहने पर, वह विद्वान व्यक्ति भी अवश्य दुखी हो जायेगा। इसलिए नीति यही कहती है कि मूर्ख शिष्य को शिक्षा नहीं देनी चाहिए, दुष्ट स्त्री से संबंध नहीं रखना चाहिए एवं दुखी मनुष्यों के बीच में नहीं रहना चाहिए। ये बातें साधारण सी लगती है लेकिन इस पर गंभीरता से विचार नहीं करने वाले व्यक्ति अवश्य संकट में फँस जाता है। इसीलिए कभी भी शिक्षा या सीख उस व्यक्ति को नहीं देना चाहिए, जिसकी ईच्छा सीखने की नहीं हो।