द्वितीय अध्याय नीति :2.3
जीवन के सुख में ही स्वर्ग है
चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो, पत्नी धार्मिक एवं उत्तम चाल—चलन वाली हो तथा जो अपनी धन—संपत्ति से संतुष्ट होकर खुश रहता हो, ऐसे व्यक्ति को इसी जगत में स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है। उसके लिए पृथ्वी में ही स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है। उसके लिए पृथ्वी में ही स्वर्ग हो जाता है। ये तीनों सुख व्यक्ति को सुकर्मों यानि अच्छे कर्मों के फलस्वरूप मिलते हैं। ऐसे लोगों को भाग्यशाली समझना चाहिए।