द्वितीय अध्याय नीति :2.15
विनाश का कारण
चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय के पंद्रहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तेज बहाव वाली नदी के किनारे लगने वाले वृक्ष, दूसरे के घर में रहने वाली स्त्री, मंत्रियों के बिना राजा लोग ये सभी शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। इसका मतलब यह है कि नदी की धारा तेज होने के कारण उसके किनारे उगनेवाले वृक्ष नष्ट हो जाते हैं। उसी प्रकार दूसरे के घर गई हुई स्त्री भी चरित्र की दृष्टि से सुरक्षित नहीं रह पाती है।