तृतीय अध्याय नीति :3-3
व्यवहार कुशल बनें
चाणक्य नीति के तृतीय अध्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कुशल व्यक्ति का कर्तव्य यही है कि बेटी का विवाह किसी अच्छे घर में करना चाहिए। पुत्र को अधिक से अधिक शिक्षा देना चाहिए ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके। मित्र को मेहनत—परिश्रम और ईमानदारी का सीख देना चाहिए ताकि वह किसी अच्छे काम में लग जाए। दुश्मन को बुरी आदतों का शिकार बना देना चाहिए ताकि वह उसमें ही उलझा रहे।