तृतीय अध्याय नीति :3-18
माता—पिता का दायित्व
चाणक्य नीति के तृतीय अध्याय के अठारहवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि माता—पिता का दायित्व है कि वे पाँच वर्ष की आयु तक ही पुत्र के साथ लाड़—प्यार करें। इसके बाद दस वर्ष तक यानि पंद्रह वर्ष की आयु तक पुत्र को कठोर अनुशासन में रखें। जब पुत्र सोलहवें वर्ष में प्रवेश कर जाएं तब उसके साथ मित्र के तरह व्यवहार करें।