तृतीय अध्याय नीति :3-10
श्रेष्ठता को बचाएं
चाणक्य नीति के तृतीय अध्याय के दसवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आवश्यकता पड़ने पर कुल के लिए एक व्यक्ति को त्याग दें। ग्राम के लिए कुल को त्याग दें। राज्य की रक्षा के लिए ग्राम को तथा आत्मरक्षा के लिए संसार को भी त्याग देना चाहिए।