तृतीय अध्याय नीति :3-19
समय की सुझ
चाणक्य नीति के तृतीय अध्याय के उन्नीसवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि उपद्रव यानि लड़ाई—झगड़ा, दंगा—फसाद हो जाने की स्थिति में, भयंकर अकाल पड़ जाने की स्थिति में और दुष्ट लोगों के संपर्क में आने की स्थिति में उस स्थान को छोड़कर भाग खड़ा होनेवाला व्यक्ति ही अपने आप को बचा पाता है। ऐसी स्थानों से भागने वाला ही समझदार व्यक्ति होता है।