चतुर्थ अध्याय नीति : 16
इनका त्याग देना ही श्रेयस्कर है
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के सोलहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस धर्म में दया न हो उस धर्म को छोड़ देना चाहिए, जो गुरू विद्वान न हो, उसे छोड़ देना चाहिए। क्रोधी पत्नी को त्याग देना चाहिए। जो भाई—बंधु, सगे संबंधी प्रेम नहीं रखते हों उससे संबंध नहीं रखना चाहिए।