चतुर्थ अध्याय नीति : 8
इससे सदा बचना चाहिए
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के आठवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुष्टों के गावं में रहना, कुलहीन की सेवा, कुभोजन, झगड़ालु पत्नी, मूर्ख पुत्र तथा विधवा पुत्री ये सारे दुख है और व्यक्ति को बिना आग के ही अंदर ही अंदर जला डालते हैं।