चतुर्थ अध्याय नीति : 6
एक ही गुणवान पुत्र काफी है
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के छठे नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि केवल एक गुणवान पुत्र सैकड़ों गुणहीन निकम्मों बेटों से अच्छा होता है। जिस प्रकार एक ही चाँद रात के अंधकार को समाप्त कर देता है जिसे लाखों तारे मिलकर नहीं कर पाते हैं। उसी प्रकार एक गुणी पुत्र अपने वंश का नाम रोशन करता है। निकम्मे गुणहीन पुत्र उल्टे अपने बुरे कर्मों से कुल को कलंकित करते हैं।