चतुर्थ अध्याय नीति : 14
निर्धनता अभिाशाप है
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुत्रहीन के लिए घर सूना हो जाता है। जिसके भाई न हो उसके लिए दिशाएँ सूनी हो जाती है। मूर्ख का हृदय सूना होता है, किन्तु निर्धन का सब कुछ सूना हो जाता है। इसलिए निर्धनता को अभिशाप कहा गया है।