चतुर्थ अध्याय नीति : 4
पुण्य करते रहना चाहिए
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के चौथी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब शरीर स्वस्थ रहता है तब मृत्यु का भी भय नहीं रहता है। लेकिन मृत्यु तो अनिश्चित एवं अवश्यभांवी है। अत: मानव को चाहिए कि वह जीवन में अधिक से अधिक पुण्य कर्म करें। समय का कोई भरोसा नहीं है। जो भी कुछ करना है समय पर ही कर लेना चाहिए।