चतुर्थ अध्याय नीति : 17
बुढ़ापे का लक्षण
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के सतरहवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राह में चलते रहने से थककर मनुष्य अपने आप को बुढ़ा अनुभव करने लगता है। घोड़ा बंधा रहने पर बूढ़ा हो जाता है। रति के अभाव में स्त्री अपने को बुढ़िया समझने लगती है। धूप में सुखाए जाने पर कपड़े का रंग फीका पड़ जाता है और वह शीघ्र ही फट जाता है।