चतुर्थ अध्याय नीति : 7
मूर्ख पुत्र किसी काम का नहीं
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के सातवें नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख पुत्र का चिरायु होने से मर जाना अच्छा होता है क्योंकि ऐसे पुत्र के मरने पर एक ही बार कुछ समय के लिए दुख होता है, किन्तु जीवित रहने पर वह जीवनभर माँ—बाप को दुख देता रहता है।