चतुर्थ अध्याय नीति : 5
विद्या कामधेनु के समान है
चाणक्य नीति के चतुर्थ अघ्याय के पाँचवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्या कामधेनु के समान गुणोंवाली है, बुरे समय में भी फल देने वाली है, प्रवास काल में मां के समान है, तथा गुप्त धन है। अन्य धन के तरह इसे कोई न तो छीन सकता है न ही चुरा सकता है।