पंचम अध्याय नीति : 1
अतिथि श्रेष्ठ होता है
चाणक्य नीति के पंचम अघ्याय के प्रथम नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अग्नि ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य तीनों वर्णों का गुरू है। ब्राह्मण अपने अतिरिक्त सभी वर्णों का गुरू है। स्त्रियों का गुरू उसका पति है। घर में आया हुआ अतिथि सभी का गुरू होता है। इसीलिए अतिथि को श्रेष्ठ माना गया है।