अष्टम अध्याय नीति: 2
दान का कोई समय नहीं
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दान देने के लिए कोई बाध्यता नहीं होती है। यानि गन्ना चूसने के बाद, पानी या दूध पी लेने के बाद, पान चबा लेने के बाद, कोई फल या दवा खा लेने के बाद भी पूजा, स्नान, दान के कार्य किये जा सकते हैं।