अष्टम अध्याय नीति : 18
दुर्गुणों का दुष्प्रभाव
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि असंतुष्ट ब्राह्मण तथा संतुष्ट राजा नष्ट हो जाते हैं। लज्जा करने वाली वैश्या और निर्लज्ज कुलीन घर की बहु नष्ट हो जाती है। मतलब ब्राह्मण को संतोषी होना चाहिए। जो ब्राह्मण संतोषी नहीं है उसका नाश हो जाता है।