अष्टम अध्याय नीति : 16
दुर्गुण सदगुणों को नष्ट कर देती है
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के सौलहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति कितना ही रूपवान यानि सुंदर हो यदि गुणवान न हो तो उसे सुंदर नहीं कहा जा सकता है। बुरे चाल चलन वाला व्यक्ति अपने कुल को बदनाम कर देता है। अयोग्य व्यक्ति विद्या का सदुपयोग नहीं कर पाता है। जो व्यक्ति अपने धन का भोग नहीं कर पाता है उस धन को नष्ट ही समझना चाहिए।