अष्टम अध्याय नीति: 5
धन का सुदपयोग
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुणी लोगों को ही धन देना चाहिए, गुणहीन को नहीं। बादल सागर से पानी लेकर मधुर पानी की वर्षा करता है। इससे पृथ्वी के समस्त जीव—जंतु जीवित रहते हैं। फिर यही जल करोड़ों गुणा होकर समुद्र में ही चला जाता है।