अष्टम अध्याय नीति : 9
विडम्बना
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के नौवीं नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु, धन का भाईयों के हाथ में चला जाना, भोजन के लिए भी पराधीनता, इसे पुरूष के लिए विडम्बना ही समझना चाहिए। मतलब बुढ़ापे में पत्नी ही सहारा होती है और पत्नी अगर साथ छोड़ जाये तो बहुत दुख होता है। धन अगर भाईयों के हाथ में चला जाये तो व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है केवल कसमसाकर रह जाता है। भोजन के लिए भी दूसरे का मुँह ताकना, इससे बड़ी विवशता और कुछ नहीं हो सकता है।