अष्टम अध्याय नीति: 6
स्नान से शुद्धता
चाणक्य नीति के अष्टम अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शरीर में तेल की मालिश करने के बाद, चितों की धुआँ लग जाने पर, संभोग करने के बाद तथा दाढ़ी—नाखून या बाल कटाने के बाद नहाना आवश्यक है। इन कामों के बाद व्यक्ति जब तक नहाता नहीं हैं तब तक चांडाल माना जाता है।