नवम अध्याय नीति : 8
इनसे कोई हानि नहीं
चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वेदों का अध्ययन ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है, किन्तु जो ब्राह्मण धन कमाने के लिए वेद पढ़ता है तथा शूद्रों का अन्न खाता है, वह ब्राह्मण विषहीन सांप के समान होता है। ऐसा ब्राह्मण अपने जीवन में अच्छा काम नहीं कर सकता।