नवम अध्याय नीति : 2
दुष्ट का नाश
चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो दुष्ट पहले एक दूसरे को अपने भेद बता देते हैं और फिर उन भेदों को अन्य लोगों को बता देते हैं, ऐसे लोग उस सांप के समान नष्ट हो जाते हैं, जो अपने बिल के अंदर ही मारा जाता है जिसे बचने का काई अवसर नहीं मिलता है।