नवम अध्याय नीति : 5
विद्या का सम्मान
चाणक्य नीति के नवम अघ्याय के पाँचवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्वान लोग पहले ही गणित—विद्या से सूर्य और चन्द्रमा के ग्रहणों के बारे में बता देते हैं। न तो आकाश में कोई आदमी भेजा जा सकता है, न वहां किसी के साथ बात की जा सकती है, न कोई सूर्य या चन्द्रमा से मिल सकता है और न किसी ने पहले से बताया है कि ये ग्रहण कब पड़ेंगे। इस प्रकार के ज्ञानी विद्वानों का संसार में सभी सम्मान करते हैं।