एकादश अध्याय नीति : 8
गुण ग्राहकता
चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के आठवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो जिसके गुणों को नहीं जानता वह यदि उसकी निंदा करें तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। किराती हाथी के मस्तक की मोती को छोड़कर गुंजा की माला पहनती है।