दशम अध्याय नीति : 20
चिंता चिता समान
चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के बीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि चिंता करने से रोग बढ़ते हैं। दूध पीने से मनुष्य का शरीर बढ़ता है। घी खाने से बल—वीर्य बढ़ता है। मांस खाने से केवल मांस ही बढ़ता है।
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दशम अध्याय नीति : 20
चिंता चिता समान
चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के बीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि चिंता करने से रोग बढ़ते हैं। दूध पीने से मनुष्य का शरीर बढ़ता है। घी खाने से बल—वीर्य बढ़ता है। मांस खाने से केवल मांस ही बढ़ता है।