दशम अध्याय नीति : 12
निर्धनता अभिशाप है
चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के बारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य हिंसक जीवों से घिरे वन में रह ले, वृक्ष पर घर बनाकर फल—पत्ते खाकर और पानी पीकर जीवन बिता लें, धरती पर घास—फूस बिछाकर सो ले परंतु धनहीन होने की दशा में अपने संबंधियों के साथ कभी न रहे, क्योंकि इससे उसे अपमान एवं उपेक्षा का जो कड़वा घूंट पीना पड़ता है वह बड़ा असहनीय होता है।