एकादश अध्याय नीति : 15—16
म्लेच्छ एवं चांडाल
चाणक्य नीति के एकादश अघ्याय के पंद्रहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो ब्राह्मण बावड़ी, कुंए, तालाब, उपवन, बाग—बगीचे, मंदिर आदि को नष्ट करता है, जिसे समाज या लोक लाज का कोई भय नहीं रहता उसे म्लेच्छ समझना चाहिए।
वहीं सौलहवी नीति में आचार्य कहते हैं कि मंदिरों से वस्तुएं अथवा धन चुरानेवाला, पराई स्त्री से कुकर्म करनेवाला तथा सभी प्रकार के लोगों के बीच में रहकर खान—पान, आचार—व्यवहार आदि का पालन न करनेवाला ब्राह्मण चांडाल कहा जाता है।