दशम अध्याय नीति : 6
लोभी से कुछ नहीं मांगे
चाणक्य नीति के दशम अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लोभी व्यक्तियों के लिए भीख, चंदा तथा दान मांगनेवाला व्यक्ति शत्रुरूप होते हैं। क्योंकि मांगने वाले को देने के लिए उन्हें अपनी गांठ से धन को छोड़ना पड़ता है। मूर्खों को समझाने—बुझानेवाला व्यक्ति भी अपना दुश्मन लगता है, क्योंकि वह उनकी मूर्खता का समर्थन नहीं करता। चरित्रहीन स्त्रियों के लिए पति ही उनका शत्रु होता है, क्योंकि उसके कारण उनकी आजादी में बाधा होती है। चोर का शत्रु चंद्रमा होता है, क्योंकि अंधेरे में छिपना आसान होता है। चांद की चांदनी से बाधा होती है।