द्वादश अध्याय नीति : 6
भाग्य का दोष
चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि करील में पत्ते नहीं आते, उल्लू दिन में नहीं देख सकता और चातक के मुंह में वर्षा की बूंदें नहीं पड़ती। इसके लिए वसंत, सूर्य और बादल को दोषी नहीं कहा जा सकता। यह तो इनके भाग्य का दोष है, जिसे कोई नहीं मिटा सकता।