द्वादश अध्याय नीति : 3
महापुरूष
चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के तीसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो अपने लोगों से प्रेम, परायों पर दया, दुष्टों के साथ सख्ती, सज्जनों से सरलता, मूर्खों से परहेज, विद्वानों का आदर, शत्रुओं के साथ बहादुरी और गुरूओं का सम्मान करते हैं। जिन्हें स्त्रियों से लगाव नहीं होता है, ऐसे लोगों को ही महापुरूष कहते हैं। इनके कारण ही दुनिया टिकी है।