द्वादश अध्याय नीति : 14
सच्चा पंडित
चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को चाहिए कि अन्य व्यक्तियों की स्त्रियों को माता के समान समझे, दूसरों के धन पर नजर न रखे, उसे पराया समझे और सभी लोगों को अपनी तरह समझे। अर्थात दूसरों की स्त्रियों को माता के समान, पराये धन को मिट्टी के ढ़ेले के समान और सभी प्राणियों को अपने समान देखनेवाला ही सही अर्थों में ऋषि और विवेकशील पंडित कहलाता है।