सप्तदश अध्याय नीति : 19-21
गुण बड़ा दोष छोटे
चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के उन्नीसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक गुण सारे दोषों को नष्ट कर देता है।
वहीं बीसवी नीति में आचार्य कहते हैं कि जवानी, धन—संपत्ति की अधिकता, अधिकार और विवेकहीनता इन चारों में से प्रत्येक बात अकेली ही मनुष्य को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है।
बीसवी नीति में आचार्य कहते हैं कि जिनके हृदय में परोपकार की भावना होती है उनकी विपत्तियाँ नष्ट हो जाती है और पग—पग पर संपत्तियाँ प्राप्त होती है।