सप्तदश अध्याय नीति : 1
गुरू का महत्व
चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कोई भी विद्या गुरू से ही सीखी जा सकती है। स्वयं पुस्तकों से विद्या प्राप्त करनेवाले व्यक्ति को विद्वानों की सभाओं में इज्जत नहीं मिलती।
| Igniting the Imagination | Vicharalaya |विचारालय |
सप्तदश अध्याय नीति : 1
गुरू का महत्व
चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कोई भी विद्या गुरू से ही सीखी जा सकती है। स्वयं पुस्तकों से विद्या प्राप्त करनेवाले व्यक्ति को विद्वानों की सभाओं में इज्जत नहीं मिलती।