चतुर्दश अध्याय नीति : 2
जैसा बोना वैसा पाना
चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के दूसरी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें सबकुछ मनुष्य के कर्मों के ही फल होते हैं। जो जैसा बोता है, उसे वैसा ही फल भी मिलता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि सदा अच्छा कर्म करें।