पंचदश अध्याय नीति : 10
तत्व ग्रहण
चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शास्त्र अनंत हैं, विद्याएं अनेक हैं, किंतु मनुष्य का जीवन बहुत छोटा है, उसमें भी अनेक विघ्न हैं। इसलिए जैसे हंस मिले हुए दूध और पानी में से दूध को पी लेता है और पानी को छोड़ देता है, उसी तरह काम की बातें ग्रहण कर लेना चाहिए और बांकी छोड़ देना चाहिए।