पंचदश अध्याय नीति: 1
दयावान बनें
चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस मनुष्य के हृदय में सभी मनुष्यों, पशु—पक्षियों,जीव—जंतुओं आदि के लिए अथाह दया होती है वही सच्चा मनुष्य होता है। उसे आत्मा के ज्ञान की, मोक्ष की, जटाएं बढ़ाने की या भस्म, तिलक, चंदन आदि लगाने की कोई आवश्यकता नहीं होती।