सप्तदश अध्याय नीति : 10
पति परमेश्वर
चाणक्य नीति के सप्तदश अघ्याय के दसवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री न दान से न सैकड़ों व्रतों से और न तीर्थों की यात्रा करने से उस प्रकार शुद्ध होती है जिस प्रकार अपने पति के चरणों को धोकर प्राप्त जल के सेवन से शुद्ध होती है।