चतुर्दश अध्याय नीति : 9
मन की दूरी
चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के नौवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के लिए दिल में जगह होती है, वह कहीं दूर भी रहे तो वह दूर नहीं कहा जा सकता। क्योंकि वह हर पल दिल में समाया रहता है। जिस व्यक्ति के मन में कोई जगह नहीं होती, वह चाहे कितना ही पास क्यों न रहे, उसे पास नहीं कहा जा सकता।