चतुर्दश अध्याय नीति : 1
रत्न
चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अन्न, जल और सुंदर शब्द पृथ्वी के ये ही तीन सच्चे रत्न हैं। हीरे जवाहरात आदि पत्थर के टुकड़े ही तो हैं।
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चतुर्दश अध्याय नीति : 1
रत्न
चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के पहली नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अन्न, जल और सुंदर शब्द पृथ्वी के ये ही तीन सच्चे रत्न हैं। हीरे जवाहरात आदि पत्थर के टुकड़े ही तो हैं।