चतुर्दश अध्याय नीति : 6
वैराग्य महिमा
चाणक्य नीति के चतुर्दश अघ्याय के छठी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी वस्तु या पदार्थ के देखने से उत्पन्न ज्ञान क्षणभर के लिए होता है, उसमें स्थायित्व नहीं होता। धार्मिक कथाओं को सुनने पर, श्मशान में तथा रोगियों को देखकर व्यक्ति की बुद्धि को जो वैराग्य हो जाता है, उससे व्यक्ति का कल्याण अवश्य होता है।