पंचदश अध्याय नीति: 7
सतसंगति
चाणक्य नीति के पंचदश अघ्याय के सातवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि योग्य स्वामी के पास आकर अयोग्य वस्तु भी सुंदरता बढ़ानेवाली हो जाती है, किंतु अयोग्य के पास जाने पर योग्य काम की वस्तु भी हानिकारक हो जाती है। शंकर के पास आने पर विष भी गले का भूषण बन गया, किन्तु राहु को अमृत मिलने पर भी मृत्यु को गले लगाना पड़ा।