षष्ठदश अध्याय नीति : 14
सार्थक दान
चाणक्य नीति के षष्ठदश अघ्याय के चौदहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि योग्य तथा जरूरतमंद को ही दान देना चाहिए। अन्य दान, यज्ञ आदि नष्ट हो जाते हैं किंतु योग्य जरूरतमंद को दिया गया दान तथा किसी जीवन रक्षा के लिए दिए गये अभयदान का फल कभी नष्ट नहीं होता।