द्वादश अध्याय नीति : 18-19
सोचकर काम करना चाहिए
चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के अठारहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन की अनाप—शनाप खर्च करनेवाला जिसका कोई भी अपना न हो, जो झगड़ालु स्वभाव का हो तथा जो स्त्रियों के ही पीछे भागता हो, ऐसा व्यक्ति शीघ्र ही बरबाद हो जाता है।
वहीं उन्नीसवें नीति में आचार्य कहते हैं कि एक एक बूंद डालने से घड़ा भर जाता है। इसी तरह विद्या, धर्म और धन का भी संचय करना चाहिए।