जब कोई व्यक्ति अपना परिचय में अपने पूर्वजों का वखान कर रहा है तो समझ जाइये उसका अभी दुर्दिन चल रहा है। लोग भूतकाल के सुनहरें दिनों को तभी याद करते हैं जब उनका वर्तमान खराब हो। भला वर्तमान में…
Category: विचारालय
नववर्ष मंगलमय हो।
नया साल का आगमन हा रहा है। पुराना साल को हमलोग बिदा करने वाले हैं। सच्चाई यह है कि नया साल सबके लिए नया नहीं होता है और पुराना साल भी सबके लिए पुराना नहीं हो गया। इसे अगर जरा…
अनियंतित्रत जनसंख्या: एक आनुवंशिक रोग।
आज के विकासशील एवं अविकसित देश एक अजीब महामारी से जूझ रहा है। वह महामारी है जनसंख्या बृद्धि। अंतराष्ट्रीय संस्थाओं, स्वयंसेवी संगठनों, विकसित देशें की सरकारों एवं स्वदेशी सरकार एवं संगठनों के कल्याणकारी कार्यक्रम इन दशें में बेअसरी साबित होती…
HAPPY DEEPAWALI
आज दीपोत्सव है। दीपों का त्योहार, अर्थात् अंधकार को दूर करने का त्योहार। आज के दिन अंधकार को मिटाने एवं प्रकाश को फैलाने का भरपूर प्रयास हमसब के द्वारा होता है। स्वच्छता पर भी आज के दिन विशेष ध्यान दिया…
सादा जीवन उच्च विचार: Simple Living, High Thinking
संपन्नता एवं सहृदयता के बीच उचित सामंजस्य दैवतुल्य मानव में ही देखा जा सकता है। इस व्यवसायिक युग में निरंतर धन और धर्म में हमेशा द्वंदयुद्ध चल रहा है। जिसमें धन लगातार धर्म को मात दे रहा है। धर्म जो…
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व्यक्तिगत विकास के द्वारा ही समाज का विकास संभव है।
आजकल सोशल मिडिया, सामाजिक संगठनों और राजनैतिक पार्टियों इत्यादि जैसे मंचों से अपने समाज के बुद्धिजीवियों, समाजसेवकों एवं राजनेताओं के द्वारा अपने समाज के विकास हेतु समाज में एकता लाने का प्रयास लगातार किये जा रहे हैं। जहाँ तक मेरी…
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सामाजिक विकास हेतु जनसंख्या बृद्धि रोका जाना अत्यन्त आवश्यक
पुराने जमाने में पुत्र को मोक्ष प्राप्ति के कारण माना जाता था। नि:पुत्र दम्पतियों को हेय दृष्टि से देखा जाता था। ऐसी मान्यता थी कि पुत्रवान ही स्वर्गाधिकारी हो सकते हैं। उस समय पृथ्वी पर मानव की आबादी नाममात्र थी।…
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अनियंत्रित जनसंख्या,विकास के मार्ग में बाधक।
विश्व में अगर किसी चीज के उत्पादन में लगातार बृद्धि हो रही है तो वह है मानव का उत्पादन। प्रत्येक सेकेंड में विश्व में कहीं न कहीं तीन बच्चे पैदा होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक सप्ताह बीस लाख से भी…
समाजोत्थान में महिलाओं की भूमिका
विश्व एक महान परिवर्त्तन के दौर से गुजर रहा है। अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्त्तन हो रहा है। परतंत्र देश स्वतंत्र होना चाहता है, स्वतंत्र देश की जनता वहाँ लोकतंत्र को मजबुत करना चाहती है। प्रत्येक आदमी अपना नैसर्गिक अधिकार…
जोश के साथ होश भी जरूरी
दुनियाँ के सभी क्षेत्रों में बहुत तेजी से विकास हो रहा है। अनेक विकसित देशों की सरकारें एवं स्वयंसेवी संस्थाएँ अल्पविकसित या पिछड़े देशों के सहायतार्थ अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चला रहे हैं, ताकि कहीं भी गरीबी भुखमरी न रहे। हमारी…