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अनुराग ही जीवन है

द्वादश अध्याय नीति : 13

अनुराग ही जीवन है

चाणक्य नीति के द्वादश अघ्याय के तेरहवी नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार यजमान से निमंत्रण पाना ही ब्राह्मणों के लिए प्रसन्नता का अवसर होता है। हरी घास मिल जाना गायों के लिए प्रसन्नतादायक होता है। उसी प्रकार पति की प्रसन्नता स्त्रियों के लिए उत्सव के समान होती है परंतु वास्तव में भीषण रणों में अनुराग ही जीवन का सार्थकता है।

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