About

नमस्कार
मैं संजय कुमार निषाद आपका हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। अगर आपका विचार आम लोगों के विचार से मेल खाती है तो निश्चय ही आप उन करोड़ों आम लोगों के भीड़ का एक हिस्सा हैं, जो पीढ़ियों से रोटी, कपड़ा और मकान के लिए मेहनत करते आ रहे हैं। अगर आपकी स्थिति थोड़ी सी बेहतर हैं तो आप अपने आपको मध्यम वर्ग का हिस्सा मानते होगें, और आपके सामने रोटी, कपड़ा और मकान के साथ—साथ एक और चुनौती भी होगी, जिसे स्वास्थ्य कहते हैं। रोटी, कपड़ा, मकान और स्वास्थ्य के इस चक्रव्युह से अगर आप निकलना चाहते हैं, तो यह आसान तो नहीं है, पर असंभव भी नहीं है। इस चक्रव्युह से बाहर निकल सकते हैं, आहार (Food) और विचार (Thought) को बदलकर एवं इसपर कठोरता से अमलकर। तो आईये हम सब मिलकर, स्वस्थ मिजाज एवं स्वस्थ समाज बनाने का प्रयास करते हैं।

बंधुओं मानव इस पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। जानकारी, बुद्धि और ज्ञान सिर्फ और सिर्फ मानव में ही समाहित हो सकता है। ईश्वर, परमात्मा या अल्लाह ने किसी अन्य जीव को इन्हें धारण करने योग्य नहीं बनाये हैं।

बंधुओं कहा गया है कि अधिकार के साथ कर्तव्य का भी मेल होता है, पर लोग कर्तव्य को भूल जाते हैं। यही मानव के साथ भी है। प्राकृतिक संपदा का दोहन सिर्फ और सिर्फ मानव ही अपनी जानकारी, बुद्धि और ज्ञान के बल पर करते हैं। बदले में वापस कुछ भी तो नहीं करते हैं। फलत: इस असंतुलन का असर हम साफ—साफ प्राकृतिक आपदाओं के रूप में देखते हैं। पृथ्वी पर बाकी प्राणियों में जानकारी, बुद्धि और ज्ञान बहुम कम पाया जाता है। फिर भी वे सब खुश हैं।

तो हमसे चूक कहाँ हुई? जबसे हम जानकारी, बुद्धि और ज्ञान को समान अर्थ में समझाने लगे, तबसे मानव में नैतिक मूल्यों का ह्रास होना शुरू हो गया। आज जानकारी प्रगति का पैमाना बन चुका है। यह जरूरी नहीं है कि जानकार व्यक्ति बुद्धिमान हो एवं यह भी जरूरी नहीं है कि जानकार एवं बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञानवान हो। दस को सौ, सौ को हजार, हजार को लाख, लाख को करोड़ एवं करोड़ को अरब बनाने ​की जानकारी देनेवाले एवं बुद्धि तेज करने की तकनीक सिखानेवालों से हमारा संसार भरा पड़ा है, पर ज्ञान की कमी दिनोंदिन हो रही है। हलांकि सारे जानकार मानव ज्ञानी होने का दावा करते हैं। परंतु यह सच नहीं बल्कि धोखा है। आजकल अनपढ़ व्यक्ति के ज्ञानी होने की संभावना ज्यादा है। शिक्षित जिसने जरूरत से ज्यादा जानकारी हासिल की और बुद्धि को तेज किया, ज्ञान के मामले में बिल्कुल कंगाल साबित हो रहे हैं। जो पृथ्वी पर सारी विषमताओं का जड़ है। प्राकृतिक आपदाओं के समय हम मानवों के अमानवीय चरित्र ​बहुत आसानी से देख रहे हैं। ​

अब प्रश्न उठता है इसका समाधान क्या है? लोगों में जानकारी और बुद्धि भरने के साथ—साथ ज्ञान भी भरने की व्यवस्था कीजिये। अभी भी समय है मानव और मानवता को बचाने का।

मैं ज्ञानी होने का दंभ तो नहीं भर सकता पर उधार का ज्ञान आप तक पहुँचाने का प्रयास अवश्य कर सकता हूँ। आपसे अपेक्षा है कि मेरे इस प्रयास में आप भी सहभागी बनें। बाकी भविष्य तो हमेशा अलिखित एवं अनिर्णित होता है।

Blogging मेरा शौक है। मेरा प्रयास है कि समाज के सभी वर्गों, विद्यार्थियों, सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए उपयोगी जानकारी उपलब्ध कराउँ। आपका सुझाव एवं सहायता अपेक्षित है।
धन्यवाद।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s